कथावाचक को स्पेनिश Inquisition के भ्रष्ट जजों के सामने लाया जाता है.
उसने क्या अपराध किया है लेखक ने कहानी में स्पष्ट नहीं किया था.
जज केवल आपस में बातचीत करते हैं.
कथावाचक के सामने मेज पर सात मोमबत्तियां जल रही थीं. जैसे - जैसे मोमबत्तियां बुझती जाती हैं वैसे ही वो बचने की उम्मीद भी छोड़ देता है.
तभी जज उसे मृत्युदंड की सजा सुनाते हैं. ये सुनकर कथावाचक बेहोश हो जाता है.
जब कथावाचक को होश आता है तो वो खुद को किसी घुप्प अँधेरे कमरे में पाता है. पहले उसे लगता है कि शायद वो किसी किले में बंद था. लेकिन शीघ्र ही उसे लगता है कि ये कोई बहुत बड़ा कमरा था.
वो उस कमरे का परिमाप लेना चाहता था. उसने अपने कपड़ों से एक पट्टी दीवार पर एक जगह लगा दी. फिर वो दीवार के सहारे उसे छूता हुआ आगे बढ़ने लगा.
लेकिन इस से पहले कि वो कमरे का पूरा परिमाप ले पाता , कमजोरी की वजह से वो बेहोश हो जाता है.
जब उसे दुबारा होश आता है तो थोड़ी दूर चलने पर उसे भोजन -पानी मिलता है.
थोड़ा सा खा-पीकर वो पुनः परिमाप लेने लगता है. जब वो पूरा घेरा पूरा करता है तो उसे पता चलता है कि कुल परिमाप 100 कदम का है.
अब वो कमरे के बीचोंबीच चलने लगता है. लेकिन तभी एक कपडा पैर में फँस जाने की वज़ह से वो आगे कि ओर गिर जाता है.
उसकी ठुड्डी एक गहरे कुएँ की दीवार पर लगी थी. वो हाथ से टटोल कर देखता है तो उसकी अंतरात्मा काँप जाती है. अगर वो कपडे की वज़ह से गिरा नहीं होता तो निसन्देह कुएँ में गिर जाता. जिसके अंदर न जाने क्या हॉरर छिपा था.
अँधेरे कमरे में लगे इस सदमे की वजह से कथावाचक फिर से बेहोश हो जाता है.
जब उसे होश आता है तो देखता है कि कमरे में कुछ प्रकाश था.
लेकिन तभी उसने देखा कि उसे एक टेबल पर पीठ के बल लिटा कर बाँध दिया गया था. उसका मुँह छत की ओर था.
छत से एक पेंडुलम जैसा तेज धारदार कुल्हाड़ा लटक रहा था. कुल्हाड़ा पेंडुलम की भांति आगे-पीछे डोल रहा था.
तभी धीरे-धीरे कुल्हाड़ा कथावाचक की तरफ आने लगा.
कथावाचक डर के मारे कांपने लगा.
लेकिन फिर उसने माँस के कुछ टुकड़े अपने हाथों के बंधनों में लगा दिए. इस से कमरे में रहने वाले चूहे उसकी तरफ आकर्षित हो गए. भूखे चूहों ने कथावाचक के बंधन काट दिए.
जैसे ही कुल्हाड़ा कथावाचक की छाती के नजदीक पहुंचा वो मेज से दूर कूद गया.
मेज तक पहुँचने के बाद पेंडुलम दुबारा छत पर चला गया.
लेकिन तभी कमरे की दीवारें गर्म लोहे की भांति लाल होकर धधकने लगीं. धीरे-धीरे वो अंदर की तरफ आने लगी.
मजबूर होकर कथावाचक को कमरे के मध्य मौजूद कुएँ की तरफ जाना पड़ा.
कुछ देर में दीवारें कुएँ की देहरी तक आ गईं. अब कथावाचक के पास खड़ा होने का भी स्थान नहीं बचा था.
आख़िरकार वो कुएँ में गिरने लगा.
लेकिन तभी एक हाथ ने लपककर उसे पकड़ लिया और बाहर खींच कर उसे बचा लिया.
कथावचक ने देखा कि फ्रेंच सेना ने स्पेनिश सेना पर विजय प्राप्त कर ली थी. Toledo शहर अब फ्रांस का था.
कथावाचक अब सुरक्षित था.
समाप्त.
Nice article thanks for sharing the post,
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