कथावाचक कहता है कि बचपन से ही उसे जानवरों से प्यार था. उसने और उसकी पत्नी ने प्लूटो नाम की एक काली बिल्ली पाल रखी थी.
बिल्ली भी कथावाचक से बहुत प्यार करती थी.
उन दोनों की मित्रता कई सालों तक रही. लेकिन फिर कथावाचक को शराब की लत लग गयी.
एक दिन वो शराब के नशे में धुत होकर घर आया.
उसने देखा कि बिल्ली उस से दूर जाने की कोशिश कर रही थी.
जब उसने जबरदस्ती बिल्ली को पकड़ना चाहा तो बिल्ली ने भयभीत होकर उसे काट लिया.
कथावाचक गुस्से से पागल हो गया. उसने जेब से छोटा चाकू निकला और बिल्ली की आँख में घुसा कर आँख बाहर निकाल दी.
इस घटना के बाद से बिल्ली कथावाचक के आते ही आतंकित होकर उस से दूर भाग जाती थी.
शुरू -शुरू में कथावाचक को बिल्ली के प्रति की हुई अपनी क्रूरता के कारण ग्लानि होती थी. लेकिन शीघ्र ही वो क्रोध में बदल गयी. एक दिन वो बिल्ली को पकड़ कर बगीचे में ले गया. वहाँ एक पेड़ से फाँसी का फंदा लटकाकर उसने बिल्ली को फाँसी लगा कर मार डाला.
उस रात कथावाचक के घर में रहस्य्मयी तरीके से आग लग गयी.
कथावाचक, उसकी पत्नी और नौकर को घर से भागना पड़ा.
अगले दिन जब कथावाचक अपने जले घर को देखने आया तो देखा कि एक दीवार जलने से बच गयी थी. उस दीवार पर एक बिल्ली की आकृति बन गयी थी जिसके गले में फांसी का फंदा था.
पहले ये देखकरकथावाचक भय से काँप उठा. लेकिन उसने बाद में सोचा कि शायद कल रात किसी ने उसे जगाने के लिए बाहर बागीचे में फंदे से लटकी बिल्ली का फंदा काटकर उसे अंदर फेंक दिया था. उसी से ये आकृति बनी होगी.
समय के साथ कथावाचक को प्लूटो बिल्ली की याद सताने लगी.
कुछ समय के बाद कथावाचक को रास्ते में एक वैसी ही काली बिल्ली दिखी. बिल्ली एकदम प्लूटो जैसी थी और उसकी एक आँख भी गायब थी. लेकिन उस बिल्ली की छाती पर एक सफ़ेद चकता था.
कथावाचक उस बिल्ली को घर ले आया. लेकिन शीघ्र ही उसे बिल्ली से नफरत हो गयी. यहाँ तक कि वो उस से डरने भी लगा.
कुछ समय बाद बिल्ली का सफ़ेद चकता बड़ा होने लगा और एक फंदे के आकार में तब्दील हो गया.
इस से कथावाचक और भी डर गया और वो बिल्ली से दूर रहने लगा.
एक दिन कथावाचक और उसकी पत्नी अपने नए घर के तहखाने में गए. वो बिल्ली भी वहां आ गयी. एकाएक बिल्ली कथावाचक के कदमों से टकरा गयी और वो सीढ़ियों से नीचे गिरते-गिरते बचा. वो क्रोध से भर उठा. उसने कुल्हाड़ी उठाई और बिल्ली को मारने दौड़ा.
लेकिन उसकी पत्नी बिल्ली को बचाने के लिए बीच में आ गयी. क्रोध में कथावाचक ने अपनी पत्नी को ही मार डाला.
उसने फिर अपनी पत्नी के शव को एक दीवार में चिन दिया.
एक दिन पुलिस कथावाचक की गायब हुई पत्नी को ढूँढने उसके घर आयी. हर जगह तलाश करने पर भी उन्हें कुछ नहीं मिला.
पत्नी के साथ ही वो काली बिल्ली भी कहीं गायब हो गयी थी. इसके लिए कथावाचक बहुत शुक्रगुजार था.
अगले दिन पुलिसवाले तहखाने में गए. वहां भी उन्हें कुछ नहीं मिला.
कथावाचक ने अनजाने में दीवार थपथपाई और तभी अंदर से एक हृदय - विदारक चीख सुनाई दी.
पुलिसवालों ने दीवार तोड़ दी.
भीतर कथावाचक की पत्नी का सड़ा - गला शव था. शव के सिर पर काली बिल्ली बैठी हुई थी. और वो उसी के चीखने की आवाज थी.
गलती से कथावाचक ने बिल्ली को भी पत्नी के साथ दीवार में चिन दिया था.
समाप्त.